हाँ - हाँ
आओ
मेरे पास
अपना बांया पैर
धीरे से उठाओ ।
और रखो पहले
डंडे पर
क्यों डरते हो ?
थोड़ा हिलती है तो क्या हुआ ?
अब दांया पैर उठाओ
और रखो
दूसरे डंडे पर
ओह !
घबराओ मत ।
दूसरा डंडा नही है ।
कोई बात नही ।
पैर को थोड़ा
और ऊपर उठाओ
और सहस करो
पैर को तीसरे डंडे पर रखो ।
डर गए ?
एक बांस फटा ही तो है ।
दुसरे को रस्सी से
बांधकर जोड़ा है ।
उठाओ और बढाओ ,
सहस नै है
सहस,
एकत्र करो
और
छलांग लगाकर
एक बार में ही छु लो ।
आखरी डंडा ।
अपने अन्दर शक्ति को
द्रिंद रखो।
और
स्थिर हो जाओ ।
यह
टूटी फूटी सीढ़ी भी
बन जायेगी
शक्ति पुंज ।
विद्या शर्मा ...
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