बात दिल की है ,
रहता तो ,
कंदराओं में है ,
फ़िर भी
सुन ही लेता है ।
देख भी लेता है
अगर ,
न देखे और
न सुने तो
दिल पत्थर है ।
देखते ही भा गया कोई
तो ,
दिल दीवाना है ।
सुनते ही अगर
मिल गया किसी से
तो ,
दिल नादाँ है ।
दिल को कौन समझाए ?
कौन रास्ता दिखाए ?
क्योंकि
कान खुले है उसी से
आँखें रोती हैं ,
उसी से ,
उसके इशारे समझले कोई
तो ,
समझदार है दिल ।
विद्या शर्मा ...
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