Saturday, March 7, 2009

उत्तर की प्रतीक्षा


मैं ,

रोज ही प्रतीक्षा करती हूँ

तुम्हें भेजे पत्र के उत्तर की ।

जब तक , आशा

निराशा नही बन जाती ,

दरवाजे पर टकटकी

लगी रहती है ।

तुम्हें क्या पता ?

तुम्हें ,

कितने ख़त लिखे ,

नाराज भी हुई हूँ ,

तुम्हें मनाया भी है ।

फ़िर ,

सोचती हूँ

तुम्हें ख्याल ही न होगा ,

मैं , प्रतिउत्तर भी

लिख रही थी ,

मेरी तरह , शायद तुम भी

उत्तर की प्रतीक्षा

करती होगी ।

विद्या शर्मा ....

No comments: