मर्द क्या है ?
कहाँ से आया ?
एक हिस्सा
औरत का ही है न ?
मर्द तो कुछ भी नही ,
ज़मीर है औरत का ।
शौर्य है औरत का
हौसला है औरत का ।
नादान हो तुम, मर्द !!
स्वयं पीकर अश्रु वह,
पेय तुम्हें पिलाती
प्रेरणा गर न बनती ,
माशूका बनकर तन्हाईयाँ न मिटाती ,
न तुम होते और
न तुम्हारे वजूद का
नामो निशान होता ।
विद्या शर्मा...
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