Monday, March 9, 2015

रजिया का भय

माया सरकारी स्कूल मैं टीचर है , हर समय बच्चों के साथ व्यस्त रहती है , स्कूल के बाद का समय भी बच्चों को पढ़ाने में निकाल देती है , करे भी क्या ? शादी के ग्यारह महीने बाद ही उसके पति नहीं रहे , एक बेटा है जो वहीँ के अंग्रजी स्कूल में पढता है , अभी तो बेटा रजत भी सातवीं में है , यही सोचकर स्कूल के पास ही घर भी ले लिया , माया अकेली ही रहती है , ससुराल वालों ने साथ नहीं दिया , पीहर दूर है उन्नाव में तो रोज कोई आ नहीं सकता , क्या करे ? अभी तो समय भी नहीं है , माया ने अपनी दुनिया को अपने में ही डुबो रखा है।

माया के घर के पास रजिया रहने को आई है , पति बैंक में काम करते हैं एक बच्चा है जो दो बरस का है , रजिया कुछ दरी हुई सी रहती है जाने क्यों उसे कुछ संकोच सा होता है जब माया के पास बात करने आती है , अभी उनकी कॉलोनी में अधिक लोग रहने नहीं आये , दो ही परिवार हैं तो बात करना भी जरुरी है , रजिया चाहती ही अपने बेटे हारून को पढने के लिए भेज दिया करे लेकिन पूरा साल लगा दिया निर्णय करने में , रजिया शाम होते ही आती है और हारून को माया के पास छोड़कर चली जाती है , अब वो ,माया को थोड़ा सा समझने लगी है।

रजिया घर आती है , अब चाय भी पी लेती है , रजत से भी बात करती है और माया के दिल में भी झांकने का प्रयास करती है , उसकी व्यथा को भी पढ़ने का मौका खोजती है , अभी सिलसिला रफ़्तार पकड़ ही रहा था कि शहर में हिन्दू मुस्लिम झगडे हो गए हालाँकि उन झगड़ों से न माया का कोई लेना देना था और न रजिया का , लेकिन रजिया ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया था अब न बच्चे को पढ़ने आने देती न , पति को बात करने देती और न खुद ही माया से बात करती , जाने क्यों रजिया डर गई , हिन्दू हैं तो मार डालेंगे या उसका बुरा ही कर देंगे।

थोड़े समय बाद उसके पति हश्फ़ाक़ का तबादला आगरा हो गया , अब रजिया अकेली रह गई , बच्चा जिसने स्कूल बंद  कर दिया था , माया ने दोबारा उसे स्कूल भेजा और रजिया को समझातीथी कि तुम सुरक्षित हो डरो मत , हम हैं ,कुछ समय बाद दोनो परिवार  वैसे ही हो गए , चाय से लेकर खाना तक एक साथ होने लगा तब कई बार रजिया ने माया से माफ़ी मांगी , अब कोई भय नहीं था रजिया और माया के बीच।

जब , रजत की शादी हुई  तब रजिया अपने परिवार के साथ अलीगढ़ रहने चली गई थी लेकिन विवाह में आकर खूब धमाल किया , अब ,  परिवार का फर्क नहीं किया जा सकता।  सारे त्यौहार एक साथ मनाये जाते हैं , रजिया का  भय जाते -जाते कई बरस लग गए।

विद्या शर्मा

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