Monday, March 16, 2015

अनोखी शादी

हमारे घर पर लोगों का आना -जाना लगा ही रहता था क्योंकि बाबा वकील जो थे , उनके दोस्तों के  घर कोई उत्सव होता तो हम सब जाकर धमाचौकड़ी मचाते थे , हर महीने कभी किसी का जन्म दिन होता कभी किसी की शादी की सालगिरह होती , कभी शादी होती तो कभी बीमारी , यही सब लगा रहता था , अंजना ने बीएड किया था तो अग्रवाल कॉलेज में लेक्चरर बन गई , सुबह से शाम होती रहती थी सब अपनी दुनियां में मस्त थे , अंजना शाम को कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी , समय यूँ ही निकल जाता था।

अंजना की शादी हो गई डाक्टर साब दो बरस बाद ही एक दुर्घटना का शिकार हो गए और अंजना हम लोगों के बीच ही बनी  रही , वही पुराना रहन -सहन ही चल रहा था , लेकिन अब अंजू ने अलग घर ले लिया था , साथ में अम्मा चली गई थीं , कभी अकेली भी रहती , बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का काम अभी भी कर रही थी उनमें एक बच्चा राहुल अंजू से इतना पभावित हुआ कि उसका सारा काम चाहे बिल जमा करना हो , सब्जी लाना हो , दूध लाना हो सब करने लगा , बस मौसी आप बोलो मैं करूँगा सारे काम , उसके माता -पिता भी बुरा नहीं मानते थे क्योंकि बाबा के दोस्त थे , वे भी वकील थे।

जब भी कोई बात राहुल को करनी होती दौड़कर आता और चाय बनाकर देता , बोलता मौसी , मुझे बताया करो , अपनी सारी मुश्किलें अंजू से कहता रहता , जब थोड़ा सयाना हुआ तो अंजू के पास गया और बोला - मौसी मैं , शादी करूँगा तो बिना दहेज़ वाली , लड़की को एक जोड़े में ही घर लाना चाहता हूँ , राहुल शहर में बुक स्टोर चलाता है , घर खर्च का निकाल लेता है , अंजू तो खुश थी चलो , कुछ तो शिक्षा काम आई , एक शिष्य ने तो काम किया , लेकिन राहुल के पिता चमन लाल जी को समझाना आसान न था ,पर राहुल ने उन्हें भी अपने हक़ में कर लिया।

एक दिन राहुल आया और शादी का कार्ड देकर चला गया , तब समझ आया अब कुछ नया घटने वाला है , सारे   रिश्तेदार नाराज थे , बरात में जाने को नहीं मिल रहा था , राहुल पंडित जी को लेकर गया , एक जोड़ा लड़की के लिए और नई साईकिल पर अपनी पत्नी शीला को बिठाकर ले आया , दुसरे दिन घर में दावत रखी थी , चार दिन बाद राहुल अंजू के घर आकर चाय बना रहा था , अंजू कह रही थी बेटा !! अब तेरी शादी हो गई है , बहु बुरा मानेगी , नहीं मैं , उसे समझा लूंगा , मौसी !! जो कहा था वो किया , अब देखो , लड़के क्या समाज में नई लहर लातें हैं , पूरे शहर में अखबार राहुल की खबर से भरे थे , कुछ दिनों बाद सब भूल गए किसी ने सबक नहीं लिया। दहेज़ के लालची चुपचाप विवाह कर रहे थे। अंजू तो खुश थी चलो , किसी ने तो उसकी शिक्षा को ग्रहण किया।

विद्या शर्मा 

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