आप पृथ्वी पर आयें
और देख लें ,
कि..
जीवन क्या होता है ?
सुख और दुःख का
आभास करें .
भूख और प्यास की
तड़फ का अनुभव करें ,
तपती दुपहरी में
जब पांव जलें
जमी पर .
सर्दी से जब ,
वदन ठिठुरता
भीगे तन - मन बारिस में .
दर-दर की ठोकर खाते
फिर भी न मिलाता चैन .
चना -चबैना कोई देता
एक लोटा पानी .
तृषा शांत तब हो जाती ,
जब , छाँव मिल जाती प्यारी .
चार -दीवारें और एक छत
कैसे मिलाती ?
ये तुम कैसे जानोगे ?
जब गज भर धरती
नसीब होती , मुश्किल से .
आओ , एक बार
प्रभु जी !!
देखो दुनियां दारी.
विद्या शर्मा ...