Sunday, March 14, 2010

माँ

वह शक्ति 
केवल तुम ही हो 
माँ ,
जो , मुझे 
दूसरों की नज़रों से 
बचा कर 
रखती है |
जब , 
छल -कपट 
झूंठा व्यवहार 
अपशब्द 
मुझे पीड़ा देते हैं ,
तब ,
तुम ही 
सांत्वना देती हो |
जब ,
तीखी ,अशिष्ट , निर्लज्ज 
निगाहें मुझे ,
भयाक्रांत करती हैं 
तब ,
तुम ही 
आँचल में 
समेत लेती हो माँ ,
अहंकार से सना 
चेहरा जब ,
मुझे ,
घायल करता है 
तब ,
तुम ही 
मुझे , शीतल छायादार 
वृक्ष की तरह 
आसरा देती हो ,
माँ |

विद्धया शर्मा ..