Sunday, March 28, 2010

अक्षर

अक्षर , कभी 
ब्रह्म , कभी , आकाश और 
कभी , समुद्र सा 
होता है |
कभी ,
अनंत , विशाल और 
शक्तिशाली तो ,
कभी न्यून , अशक्त और 
दुर्बल होता है |
कभी चढ़ाता है हिम्तुंग पर 
कभी गिराता है 
गहरी खाई में |
कभी ,
घुमाता है 
जीवन को चहु ओर,
कभी हंसाये ,
कभी रुलाये ,
अक्षर ,
राजा को भी रंक 
बना दे  ,
कभी तेली को 
सौदागर |
कभी ,
फौलाद सा कठोर 
बन जाए ,
कभी शबनम सा 
जहर जाये |

विद्या शर्मा ...

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