Monday, March 9, 2009

रहस्य


भविष्य एक रहस्य है

अतीत एक बंद किताब ,

वर्तमान खुला पृष्ठ है

यह ग्रन्थ किसने लिखा ?


रूप खींच लेता है पल भर में

गुण धीरे -धीरे खींचते हैं ।


मिल जाता है बहाना जीने के लिए ,

मिल ही जाएगा मौका मरने के लिए ।


हर कही सुनी बात

हकीकत नही होती ,

नजारा कुछ और ही होता

अगर हकीकत जानता कोई ।


चमन में बहार आती नही

आती है बहार वीराने में भी ,

दिल का दरिया भरा हो

तो जेठ भी सावन हो जाता है ।


हम तो उन्हें साथ लेकर ही

चले थे शबाबये महफ़िल में ,

या करें इस किस्मत का

वो हमें , छोड़ आए शमशान में ।


अपने रुख से परदा हटाया कभी

बेरुखी तुम्हारी ही बेपर्दा कर गई ,

बेआवरू करने की आदत है तेरी

पर , रूवरू तो हो जा मेरी ।


विद्या शर्मा .....


1 comment:

Pradeep Kumar said...

हर कही सुनी बात


हकीकत नही होती ,


नजारा कुछ और ही होता


अगर हकीकत जानता कोई ।

बहुत खूब !!!