Saturday, March 7, 2009

औरत


मर्द क्या है ?

कहाँ से आया ?

एक हिस्सा

औरत का ही है न ?

मर्द तो कुछ भी नही ,

ज़मीर है औरत का ।

शौर्य है औरत का

हौसला है औरत का ।

नादान हो तुम, मर्द !!

स्वयं पीकर अश्रु वह,

पेय तुम्हें पिलाती

प्रेरणा गर न बनती ,

माशूका बनकर तन्हाईयाँ न मिटाती ,

न तुम होते और

न तुम्हारे वजूद का

नामो निशान होता ।


विद्या शर्मा...

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