Monday, March 9, 2009

खामोशी

उसकी खामोशी अच्छी है
किंतु ,
किसे पता है
उसकी खामोशी में
कितने ज्वारभाटे दबे हैं
कितने,
तूफानों को समेटा है ,
कितने,
विचारों को नाकारा है,
कितने,
अरमानो को दफ़न किया है
कितने ,
रिश्ते नातों को तोडा है
कितने ,
बलिदान और
त्याग किए हैं ,
कितने,
बन्धनों को खोया है ।
कितनी
आशाओं का द्वार
बंद किया है ।
कितनों का प्यार
छिपाया है ,
फ़िर भी
उसकी खामोशी
अच्छी है ।

विद्या शर्मा ...

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