Saturday, March 7, 2009

सीढ़ी


हाँ - हाँ

आओ

मेरे पास

अपना बांया पैर

धीरे से उठाओ ।

और रखो पहले

डंडे पर

क्यों डरते हो ?

थोड़ा हिलती है तो क्या हुआ ?

अब दांया पैर उठाओ

और रखो

दूसरे डंडे पर

ओह !

घबराओ मत ।

दूसरा डंडा नही है ।

कोई बात नही ।

पैर को थोड़ा

और ऊपर उठाओ

और सहस करो

पैर को तीसरे डंडे पर रखो ।

डर गए ?

एक बांस फटा ही तो है ।

दुसरे को रस्सी से

बांधकर जोड़ा है ।

उठाओ और बढाओ ,

सहस नै है

सहस,

एकत्र करो

और

छलांग लगाकर

एक बार में ही छु लो ।

आखरी डंडा ।

अपने अन्दर शक्ति को

द्रिंद रखो।

और

स्थिर हो जाओ ।

यह

टूटी फूटी सीढ़ी भी

बन जायेगी

शक्ति पुंज ।


विद्या शर्मा ...

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