Friday, March 6, 2009

दिल



बात दिल की है ,

रहता तो ,

कंदराओं में है ,

फ़िर भी

सुन ही लेता है ।

देख भी लेता है

अगर ,

न देखे और

न सुने तो

दिल पत्थर है ।

देखते ही भा गया कोई

तो ,

दिल दीवाना है ।

सुनते ही अगर

मिल गया किसी से

तो ,

दिल नादाँ है ।

दिल को कौन समझाए ?

कौन रास्ता दिखाए ?

क्योंकि

कान खुले है उसी से

आँखें रोती हैं ,

उसी से ,

उसके इशारे समझले कोई

तो ,

समझदार है दिल ।

विद्या शर्मा ...

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