Monday, March 9, 2009

हिन्दी का हिंडोला

कबीर की बंसी से उलट जाइये ।
रहीम के दोहों में
उलझ जाइये ।
तुलसी के मानस में
गोते लगाइए ।
सूर की कुटी में
हठ आसन लगाइए ।
या
मीरा के एक तारा के
तार झंकाइये ।
महादेवी के अतीत में
खो जाइये ।
या
रसखान के ब्रिज में
रंग जाइये ।
प्रसाद के आंसुओं में
बह जाइये ।
या
जायसी के सागर में
डुबकी लगाइए ।
बिहारी की नाइका को
पहचानिये ।
देखलो
हिन्दी के प्रेमियों
हिन्दी के हिंडोले में
ज़रा तो बैठ जाइये ।

विद्या शर्मा ...

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