शरीर की
दहलीज पर
लगी , चौखट के
कपाट ही हैं ,
संस्कारों के
गवाक्ष हैं ,
संस्कृति के
पहरेदार हैं ,
सुरक्षा के
स्तम्भ हैं ,
दिल का द्वार हैं ,
पीड़ा का
संचार हैं ,
ममता का उद्गार हैं ,
छल ,दंभ , कटुता का
आभास हैं ,
चक्षु !!
इस महल की
भव्यता और
एकता का आइना हैं ,
जीवन की
सत्यता का
प्रतिबिम्ब हैं ,
चक्षु हमारा
व्यक्तित्व ही हैं |
विद्या शर्मा ...
6 comments:
शरीर की दहलीज पर लगी , चौखट के कपाट ही हैं
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
बहुतअच्छा लिखा है
आंखों की सुंदर परिभाषा है।
aankho ko vyakt karte sundar shabd....jo dil ko chhu rahe hain....:)
kabhi hamare blog pe dustak den...
bahut sundar!
चक्षु हमारा
व्यक्तित्व ही हैं |
ekdam sahi kaha.....
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