मुझे , बहाकर ले गई
एक धारा ,
तब , क्या खबर थी
क्या होगा ?
कहाँ जाऊंगा ?
भंवरों में घिर गया
तो ,
झिंझोड़ा जाऊंगा ,
पत्थरों से ,
टकरा गया तो ,
टूटकर लहरों में
समां जाऊंगा ,
किनारा मिल गया तो ,
ठोकर से खेला
जाऊंगा ,
बार -बार
घूमता ही रहूँगा
तभी समझ पाउँगा
संसार चक्र को |
विद्या शर्मा ..
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