ब्रह्म , कभी , आकाश और
कभी , समुद्र सा
होता है |
कभी ,
अनंत , विशाल और
शक्तिशाली तो ,
कभी न्यून , अशक्त और
दुर्बल होता है |
कभी चढ़ाता है हिम्तुंग पर
कभी गिराता है
गहरी खाई में |
कभी ,
घुमाता है
जीवन को चहु ओर,
कभी हंसाये ,
कभी रुलाये ,
अक्षर ,
राजा को भी रंक
बना दे ,
कभी तेली को
सौदागर |
कभी ,
फौलाद सा कठोर
बन जाए ,
कभी शबनम सा
जहर जाये |
विद्या शर्मा ...
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