बेटी ,
सुन्दर , समझदार
संस्कारी , ममतामई
त्याग की मूर्ती
होती है ,
अतिथि का आदर ,
घर की संभाल
सब , भाता है उसे ,
पढना , लिखना
गुडिया सजाना ,
प्यार बांटना
सब , जानती है वो,
बेटी ,
माँ की प्रतिमूर्ति
किसी के ,
कुटुंब की निर्मात्री,
होती है |
बेटी ,
के चारो तरफ ,
पूरी दुनियां
नजर आती है |
विद्या शर्मा ...
2 comments:
BETIYA AISI HI HOTI HAI...
जब तुम पास नहीं होती
तब मैं अकेली होती हूँ।
इसे तुम जानती हो, माँ
इसीलिए तो अपने आशीष
रोज गूँथ देती हो
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