हवाओं का सैलाव
आंधी , तूफ़ान , बबंडर
कभी , चक्रवात बन
सब कुछ ,
तबाह करता है |
देश , राष्ट्र , नगर
गाँव ,ओर चौपारे
कभी ,
नष्ट होते हैं ,
तो , कभी ,
आबाद होता है ,
समाज |
भावों , विचारों की
श्रंखला सा ,
सब कुछ,
टूटता , बिखरता है |
बांध से बांधे रिश्ते
दरक कर ढह
जाते हैं |
कभी ,
ठहरी झील से
संबंधों को
समेटती हूँ |
उमंगों के तूफ़ान
घेर लेते हैं
मुझे |
विद्या शर्मा ...
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