Wednesday, March 24, 2010

बेटी

बेटी ,
सुन्दर , समझदार 
संस्कारी , ममतामई 
त्याग की मूर्ती 
होती है ,
अतिथि का आदर ,
घर की संभाल 
सब , भाता है उसे ,
पढना , लिखना 
गुडिया सजाना ,
प्यार बांटना 
सब  , जानती है वो, 
बेटी ,
माँ की प्रतिमूर्ति 
किसी के ,
कुटुंब की निर्मात्री,
 होती है |
बेटी ,
के चारो तरफ ,
पूरी दुनियां 
नजर आती है |
विद्या शर्मा ...

2 comments:

संजय भास्‍कर said...

BETIYA AISI HI HOTI HAI...

संजय भास्‍कर said...

जब तुम पास नहीं होती

तब मैं अकेली होती हूँ।

इसे तुम जानती हो, माँ

इसीलिए तो अपने आशीष

रोज गूँथ देती हो