तुम,
इस कदर
वेग से ,
प्रवाहित हो
रहे हो ,
सब कुछ भूलकर
दौड़ लगा रहे हो ,
पल भर रूककर
पीछे भी नहीं
देखते हो ,
किसी के साथ
चलने की
अपेक्षा भी नहीं
करते हो ,
हर बंधन को
तोड़कर ,
निरंतर चलते ही जा
रहे हो ,
किसके लिए ?
शायद ,
रूठी प्रेमिका को
अपने अंक में
समेट लेना
चाहते हो ,
या फिर
किसी,
अजनवी की
खोज में
खाक छान रहे हो |
विद्धया शर्मा ..
1 comment:
बहते हुए तुम, इस कदर वेग से ,प्रवाहित हो रहे हो ,सब कुछ भूलकर दौड़ लगा रहे हो ,पल भर रूककर पीछे भी नहीं देखते हो ,किसी के साथ चलने की अपेक्षा भी नहीं करते हो ,हर बंधन को तोड़कर ,निरंतर चलते ही जा रहे हो
...लाजवाब पंक्तियाँ .....
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