प्रतिबिम्ब हर शब्द के साये में मेरा प्रितिबिम्ब ही नज़र आता है , हर पद्य की उलझन में मैं, उलझती ही जाती हूँ , हर लम्हे के साथ मैं , जिन्दगी जीती नज़र आती हूँ , हर लम्हा मेरा प्रतिबिम्ब ही है .
Sunday, March 28, 2010
नमन
सीमा की
आन -बाण और शान
के लिए जो ,
आत्माहुति दे गए ,
उन ,
अमर शहीदों को
शत -शत नमन
जो ,
कर्तव्य की पूर्णता के लिए
प्राणाहुति दे गए
उन ,
दिव्यात्माओं को
कोटिश :
नमन |
2 comments:
बढ़िया है....."
बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
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