मधुर - डरावने
धुंधले
स्वप्नों की
मुझे ,
तलाश है ,
दूर बादलों में
गुम हुए
साए से ,
उन , सपनों की
मुझे तलाश है ,
जो ,
जागते हुए भी
सोये हुए अधरों पर
आई ,
मुस्कान को
चुरा ले गए
उस ,
अस्पष्ट अहसास की
मुझे तलाश है ,
शजों को झंकृत कर
स्वरों की
तान झेड़ने से
घायल हुए
पोरों की
मीठी सी
चुभन की मुझे ,
तलाश है ,
उन ,
सपनों को
जीना चाहती हूँ ,
विद्धया शर्मा ...
1 comment:
दूर बादलों में
गुम हुए
साए से ,
उन , सपनों की
मुझे तलाश है ,
vidhya aapki kavita mein jeevan ki talash hai admya lalak hai ,jijivisha hai ..yehi es kavita ki khoobi hai ....
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