Friday, February 27, 2015

परिवरिश

मणि हमारी बड़ी बहन राजस्थान में रहती थीं , प्रतिष्ठित वकील साब के परिवार में ब्याही थीं , उनके पति भी वकील थे पर उनकी वकालत बिलकुल नहीं चलती थी , परिवार का पूरा खर्च हमारे ताऊजी उठाते थे क्योंकि मणि उनकी अकेली संतान थीं , बड़े लाड -प्यार में पली थीं , पढाई के अलावा सारे काम वो कर लेती थीं , खाना बहुत ही स्वादिष्ट बनाती थीं , हम सब लोग अक्क्सर उनके बनाये खाने से खुश होते थे , कोई अपना - पराया नहीं था , सन १९५० में उनकी शादी कर दी गई जब कभी मौका मिलता हम लोग भी मणि दी के पास घूमने आते थे ,


एक बार उनकी बेटी के जन्म दिन पर हम लोगों को जाने का अवसर मिला , वहां संगीत का आयोजन रखा गया था जिसमें उनकी एक सहेली के साथ १२ साल का लड़का भी था जो बहुत अच्छी ढोलक बजा रहा था और बहुत ही मधुर स्वर में गाने भी गा रहा था , हम लोग बहुत ही अचम्भित थे क्योंकि हमने पहली वॉर किसी लड़के को इस तरह बजाते गाते सुना था , शारदा के पास लड़का बचपन से ही था , छोटे मोटे काम करता था और संगीत सीखता था , भारतीय त्योहारों में गाने वाले , होली , दिवाली , शादी , बधाई , भजन जो चाहो उससे गवा लो , सब लोग उससे परिचित थे , शारदा को योगी की वजह से सब जानते थे , सबके आकर्षण का केंद्र बन जाता था।


हमारे गांव चावली के पास एक गांव नगला लाले था , वहां का सैनिक परिवार उस लड़के की ग्रहण करने की क्षमता से बहुत प्रभावित हुआ , मेजर कुमार अपनी पत्नी के साथ आये हुए थे , शारदा से उस लड़के को अपने साथ ले जाने का आग्रह किया , हम इसको पढ़ाना चाहते हैं , इसकी नौकरी लग जाएगी तो अच्छा रहेगा सभी इस प्रस्ताव का समर्थन किया और काफी सोच -विचार के बाद कुमार योगी को अपने साथ लेन में सफल हो गए , कुमार ने उसे अंग्रेजी स्कूल में दाखिला दिला दिया , बच्चा बुद्धिमान था , सब कुछ बहुत अच्छी तरह से सीख लिया , कोई समझ ही नहीं पाता था कि योगी इनका अपना बेटा नहीं है , १२वी पास करने के बाद उसकी नौकरी लग गई , कुमार का घर योगी भरद्वाज के संगीत प्रतियोगिता में पाये उपहारों से भरा हुआ था , अब तो योगी भी भूल चूका था कि वो कहाँ से आया है कौन है ,

२० साल बाद एक बार फिर मणि दी की बेटी की शादी में जाने का मौका मिला , कुमार दंपत्ति अपने होनहार बेटे योगी के साथ वहां आये हुए थे , शारदा तो उसे देखकर खुश थी , हम लोग अचम्भित थे कितना रौबीला युवक बन गया था योगी , सभी उसके सुखद भविष्य के लिए खुश थे। अब तो वो भी देश सेवा के लिए समर्पित था।

विद्द्या शर्मा 

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