Monday, March 9, 2009

चली बयार


चली बयार कुछ ऐसी

जिया मेरा डोल गया रे ,

साथी सब झूंठे

झूंठे उनके वादे ,

जब वरपाया कहर

जिया मेरा डोल गया रे ,

रिश्ते बन गये गाली

करें दिखावा थोथा ,

आशा बनी निराशा

जिया मेरा डोल गया रे ,

सहेली बनी पहेली

फांस गले में अटकी ,

जीवन कर दिया भ्रष्ट

जिया मेरा डोल गया रे ,

दुश्मन बन गया भाई

पिता बना जंजाल ,

जीना हुआ दुस्वार

जिया मेरा डोल गया रे ।

कन्या लक्ष्मी नही रही

बन गई कलंक ,

नोचा खसोटा फ़िर बेचा ,

जिया मेरा डोल गया रे ।

कृष्ण कब उतरेंगे धरा पर

रखने को लाज ,

दर्शन की मारी मैं,

जिया मेरा डोल गया रे ।

विद्या शर्मा ....





14 comments:

दिगम्बर नासवा said...

आप की सभी रचनाये बहूत सुन्दर हैं ......
पहली बार इस ब्लॉग को पढ़ा मस्त हो गया

गीत, छंद कविता सभी में सुन्दर शब्द संयोजन है

कडुवासच said...

... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

mark rai said...

i will always care of your advise....thanks for comment.

देशांतर said...

aapki kawitawon ko padhkar jiya dol gaya . lekin mughe lagta hai ki aaj aaurton ko bhi samman aur unhe unka hak bhi diya ja raha hai .

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना!
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
मैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को
ग़ज़ल,गीत डालता हूँ,जरूर देखें।मुझे पूरा यकीन
है कि आप को ये पसंद आयेंगे।

विक्रांत बेशर्मा said...

बहुत ही भावपूर्ण कविता कही आपने!!!

daanish said...

अच्छी रचना है
भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति
और शब्द-शब्द काव्य जैसा

बधाई
---मुफलिस---

Dr. Amarjeet Kaunke said...

lok man ki bhawnaon ko abhivyakt karti bahut khubsurat geet....amarjeet kaunke

निर्मला कपिला said...

सहेली बनी पहेली

फांस गले में अटकी ,
बहुत सुन्दर कविता है बधाई

Pushpendra Singh "Pushp" said...

बहुत खूब सुन्दर रचना
धन्यवाद

Pushpendra Singh "Pushp" said...

इस सुन्दर रचना के लिए बहुत -बहुत आभार
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं

Narendra Vyas said...

बहूत सुन्दर!!

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब सुन्दर रचना
धन्यवाद

संजय भास्‍कर said...

PLZ VIST MY BLOG RENU JI


SANJAY BHASKAR
http://sanjaybhaskar.blogspot.com